प्रणालीगत सुधार संगठन में प्रणालीगत सुधार, निवारक सतर्कता रणनीति के एक भाग के रूप में परिवर्तन लाता है, जो न केवल अब तक प्रयोग में लाई जा रही मौलिक प्रणाली / प्रक्रिया का बदलाव करता है अपितु पूरे संगठन की प्रभावशीलता में भी सुधार लाता है ।
-महात्मा गांधी
भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष में एक समर्थ उपकरण जो मौजूदा प्रणालियों में सुधार करता है और अधिक स्पष्टता, मानकीकरण और पारदर्शिता लाने के लिए प्रणाली के भीतर अंतर्निहित जांच को स्थापित करता है।
इसका उद्देश्य अधिक पारदर्शिता के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में जनता सहित हितधारकों को लाना है।
इसका उद्देश्य कदाचार को दंडित करना और रोकना है।
प्रणालीगत सुधार के माध्यम से नागरिकों के सुझाव सहभागी सतर्कता के तंत्र को सशक्त करने के प्रयास में, आयोग ने इस विशेष प्रकार की पहल के रूप में, सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2020 के दौरान नागरिकों से प्रणालीगत सुधारों पर सुझाव आमंत्रित किए, जिन्हें वे लागू होते देखना चाहते हैं । यह सरकार में हो रहे सुधारों और निर्णयगत प्रक्रियाओं में हितधारकों को शामिल करने के लिए भी किया गया था। आयोग ने इन सुझावों का विश्लेषण करने, उनसे प्राप्त विभिन्न विचारों पर चर्चा करने और विभिन्न मुद्दों को संबंधित सरकारी संगठनों में उठाने के लिए आयोग में सात अधिकारियों की एक समिति गठित की गई थी । इन सुझावों पर विचार-विमर्श करने के लिए कई दौर की चर्चाएं हुई और इन सुझावों को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए उचित स्तर पर बैठकें आयोजित की गईं। नागरिकों से प्राप्त सुझावों को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
आयोग, एक सतत अभ्यास के रूप में, विभिन्न संगठनों के मामलों पर कार्रवाई के दौरान, मुख्य सतर्कता अधिकारियों और आयोग के शाखा अधिकारियों से प्राप्त प्रणालीगत सुधारों की नियमित सिफारिश करता है । प्रणालीगत सुधारों को और अधिक मजबूत बनाने और अन्य संगठनों में जहां भी आवश्यक हो, वहाँ इनके प्रयोग की संभावना पर ध्यान देने के लिए, इनमें से कुछ मामलों को प्रणालीगत सुधार समिति को भी भेजा जाता है । समिति इन मामलों की जांच करके अन्य संगठनों में इन परिवर्तनों का अनुसरण करने की संभावना तलाशने के अलावा, इनमें अधिक सुधार की आवश्यकता के लिए भी सिफ़ारिश करती है ।
आयोग सरकारी कर्मचारियों के लिए एक मजबूत प्रशिक्षण प्रणाली पर जोर दे रहा है, जो किसी भी संगठन के उद्देश्य और कार्यप्रणाली में सफल होने के लिए महत्वपूर्ण है । कर्मचारियों में व्यवहारिक परिवर्तन लाने के लिए, आयोग उन्हें प्रारंभिक प्रशिक्षण और मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अच्छी कार्यपद्धति से अवगत कराने के विचार के लिए दृढ़ता से समर्थन करता है । इस उद्देश्य के साथ, आयोग ने प्रारंभिक प्रशिक्षण के लिए पांच दिवसीय एक्सपोज़र विजिट मॉड्यूल और मध्य-कैरियर प्रशिक्षण के लिए 3 दिवसीय एक्सपोज़र विजिट मॉड्यूल को अंतिम रूप दिया है । राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को संबंधित संगठनों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने की एजेंसियों के रूप में निर्धारित किया गया है । इसके अलावा, कर्मचारियों को ग्रामीण जीवन से परिचित कराने के लिए, आयोग ने ग्रामीण विकास विभाग द्वारा स्थापित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों (आरएसईटीआई) को शामिल किया है । गांव के भ्रमण में किसानों, स्वयं सहायता समूहों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्राम पंचायत के साथ संवाद, ग्रामीण योजनाओं से परिचित होना, प्रतिभागियों द्वारा सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण आदि को शामिल किया गया है ।
आयोग का मानना है कि सफल संगठन वे हैं जिनकी प्रशिक्षण प्रणाली मजबूत है। इसलिए आयोग ने सभी सरकारी संगठनों में अनिवार्य प्रेरण और मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विचार का समर्थन किया सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और बैंक। आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि प्रत्येक संगठन को एक संरचित होने का प्रयास करना चाहिए सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए न्यूनतम 4 सप्ताह का मध्य कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम।
आयोग ने सभी प्रशिक्षणों में निवारक सतर्कता मॉड्यूल के संस्थागतकरण की आवश्यकता को पहचाना है कार्यक्रम. इसने प्रारंभिक स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम और सांकेतिक के लिए 5 सांकेतिक निवारक सतर्कता मॉड्यूल विकसित किए हैं मध्य कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल करने के लिए निवारक सतर्कता मॉड्यूल।
सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान, माननीय आयोग ने ‘सतर्क भारत, समृद्ध भारत’ हेतु मेंटरशिप का प्रस्ताव पेश किया । आयोग का यह विचार है कि सेवा में आए नए अधिकारी के लिए, वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रदान किया गया मार्गदर्शन, समर्थन और सकारात्मक अभिविन्यास उसके व्यक्तिगत और व्यावसायिक गुणों को विकसित करने में काफी मदद कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः नेतृत्व कौशल का विकास, कार्यस्थल पर निष्पादन में सुधार और व्यावसायिक चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित होती है । इसलिए, आयोग ने एक औपचारिक/ सुगठित मेंटरशिप योजना को अपनाने की सिफारिश की है, जहां एक वरिष्ठ अधिकारी, मेंटर के रूप में, नए पदाधिकारी के लिए एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक की तरह कार्य करता है । मेंटर, प्रशिक्षु को सही सेवा दृष्टिकोण, प्रमुख पेशेवर कौशल के लिए अभ्यास, अपने अनुभव साझा करने के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में व्यक्तिगत आचरण के अपेक्षित मानदंडों पर मार्गदर्शन प्रदान कर सहायता कर सकता है । इससे सेवा में चुनौतियों के प्रति बेहतर भावनात्मक प्रतिक्रिया संभव होगी और एक अधिकारी को लोक सेवक के रूप में अपनी क्षमता का पूर्ण योगदान करने में सहायता मिलेगी । आयोग ने आरंभ में इस योजना को अखिल भारतीय सेवा में शामिल नए अधिकारियों, समूह 'क' अधिकारियों और अन्य सरकारी संगठनों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उनके समकक्ष के लिए इस योजना की सिफारिश की है ।
सीएजी लेखापरीक्षा/निरीक्षण की स्थापित प्रक्रिया और दिशानिर्देशों के अनुसार, संबंधित इकाई की लेखापरीक्षा रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पूर्व, सभी लेखापरीक्षा जानकारी, निष्कर्षों और सिफारिशों की चर्चा संबंधित इकाई के प्रमुख के साथ की जाती है और जहां तक संभव हो लेखापरीक्षित इकाई से सीधी प्रतिक्रिया के लिए आग्रह के साथ एक बैठक में रिकॉर्ड किया जाता है जिसे "एग्जिट कॉन्फ्रेंस" या "एग्जिट इंटरव्यू" भी कहते हैं । यह जहां तक संभव हो लेखापरीक्षा निष्कर्षों और सिफ़ारिशों के संबंध में संपरीक्षित इकाई के साथ समझौते पर पहुँचने के लिए एक पटल है । एक्ज़िट इंटरव्यू के समय सीवीओ को शामिल करने से सतर्कता शाखा और सीएजी निरीक्षण/ऑडिट परिणामों के मध्य सीधा संबंध मिल सकता है और इससे सतर्कता विभाग द्वारा मामले की सतर्कता जांच शीघ्र शुरू की जा सकती है । इस मुद्दे को आयोग ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, सचिव व्यय और सचिव, सार्वजनिक उद्यम विभाग के समक्ष उठाया था । आयोग ने इस प्रणाली को संस्थागत बनाने की दिशा में प्रारम्भिक आधार पर निम्नलिखित पीएसयू को सीएजी ऑडिट निरीक्षण टीम द्वारा एक्ज़िट इंटरव्यू के समय सीवीओ को शामिल करने की पद्धति अपनाने की सलाह दी है: